सोमवार, 1 अक्तूबर 2012

कसम से

" जब तेरी मखमली उँगलियों की छुवन से,
दिल की धड़कनों का ताप बढ़ जाता है ,
कसम से,
क्रांति और विद्रोह के उबाल से 
ये दिल लबरेज हो जाता है ;
चमड़ी-चमड़ी , खून-खून का भेद मिट जाता है, और 
दिल को दिल से प्यार हो जाता है;
उस पल  को इस दिल से बड़ा  साम्यवादी ,
इस जहाँ में कोई और नहीं होता है !
कसम से,
दिल का मिजाज़ भी अजीब होता है,
सुबह सुबह मोहबत्त की यादों को बाथरूम में धो डालता है, और 
दिन भर उन फैक्ट्रियों में गुम हो जाता है,
जहाँ लेन देन तो इंसानी जरूरियात का होता है ,
मगर कारोबार तो आदमियत के एहसास का होता है !
फिर भी, कसम से,
कई बार तो दिल दिन भर घुमड़ घुमड़ के घुमड़ता है,
हवाई जहाज से सड़कों का सफ़र करने वाली,
उस नीली आँखों वाली लडकी के साथ,
नग्न होकर आलीशान ओनसेन के पारदर्शी गर्म पानी में,
घंटों गुजार देने के हसीन चाह में,
दिल मानता ही नहीं कि क्रांति तो एक सपना भर है, और 
बिना डॉलर के इस नयी दुनिया के रास्ते कठिन हुआ करते हैं !
कसम से ,
फिर तो दिल गजब की पलटी मारता है,
उसका जानेमन को बागी बना देने का दिल करता है,
पुकारता है वो बड़ी उम्मीद से,
आ ! चल, छोड़ दें इन इंसानों की दुनिया को ,
और साथ साथ किसी जंगल में रायफल लिए भटकते हैं,
हर एक आदिम जात को आधुनिकता से मुक्त करते हुए,
एक-एक गोली अपने सदियों पुराने कंडीशंड दिमाग में दागते हैं,
फिर हड़प्पा युग से भी पहले मौजूद किसी झरने के नीचे बैठ के,
दुनिया की परिभाषा फिर से गढ़ते हुए एक-एक जाम टकराते हैं !
कसम से ! "

................................................संतोष 
ओनसेन= गर्म पानी के सोते का जापानी नाम!